Thursday, February 28, 2008

कहानी केकड़ों की

एक बड़ी बोतल थी
उसमें बहुत सारे केकड़े थे
बोतल बड़ी थी
पर उसमे से निकला जा सकता था
थोड़ी मेहनत करके ।
जब भी कोई केकड़ा ऊपर चढ़ने की कोशिश करता
दूसरे उसकी टाँग पकड़ कर
नीचे खींच देते ।
यह चलता रहा
और
कोई भी केकड़ा
ऊपर नहीं जा पाता -
बाहर से देखनेवाले
खुश थे ।
एक दिन एक बुद्धिमान
केकड़ा बोतल में फ़ेंका गया
उसने एकता सिखाई
बोतल वाले केकड़ों को -
और एक एक कर के
सारे केकड़े बाहर आ गये ।
अब बाहर बैठे
देखनेवाले नाराज़ थे ।
-आलोक

1 comment:

SahityaShilpi said...

भाई जब देखने वालों को कुछ देखने के लिये बचा ही नहीं, तो नाराज़ न होंगे! पर वो समझदार केकड़ा है कहाँ? :)

- अजय यादव
http://merekavimitra.blogspot.com/
http://ajayyadavace.blogspot.com/
http://intermittent-thoughts.blogspot.com/